🌿 होम गार्डन देखभाल कैलेंडर (जनवरी–दिसंबर)
जनवरी – फरवरी (सर्दी का अंत)
• गमले की मिट्टी को खुरपी से हल्का ढीला करें।
• पत्तेदार सब्ज़ियाँ (पालक, मेथी, धनिया) और मौसमी फूल लगाएँ।
• पौधों को सुबह की धूप दें।
मार्च – अप्रैल (गर्मी की शुरुआत)
• रोज़ाना या एक दिन छोड़कर पानी दें।
• नीम तेल का छिड़काव करें ताकि कीट न लगें।
• बेलदार पौधे (तोरई, लौकी, खीरा, टमाटर) लगाएँ।
मई – जून (तेज गर्मी)
• गमले को आधी छांव में रखें।
• मिट्टी पर पत्ते/सूखी घास की परत (Mulching) डालें ताकि नमी बनी रहे।
• सुबह या शाम को ही पानी दें।
जुलाई – अगस्त (बरसात)
• बारिश का पानी जमा न होने दें, वरना जड़ सड़ जाएगी।
• गुलाब, जास्मीन और फलों वाले पौधों में गोबर खाद मिलाएँ।
• बेलदार पौधों को सहारा दें।
सितंबर – अक्टूबर (संतुलित मौसम)
• गमलों की मिट्टी बदलें या उसमें नई खाद मिलाएँ।
• मौसमी फूलों के बीज (गेंदा, गुलदाउदी, पिटूनिया) बोएँ।
• फलदार पौधों में पोटाश वाली खाद डालें ताकि फूल और फल अच्छे आएँ।
नवंबर – दिसंबर (सर्दी का मौसम)
• कम पानी दें, केवल ज़रूरत के अनुसार।
• गमले को धूप में रखें।
• फूल वाले पौधों को हड्डी की खाद (Bone Meal) या फॉस्फोरस दें।
• ट्यूलिप, गुलाब और मौसमी सब्ज़ियाँ (मटर, गाजर, मूली, पत्तागोभी) लगाएँ।
होम गार्डन के पौधों की देखभाल थोड़ी अलग होती है क्योंकि जगह सीमित होती है और पौधे अक्सर गमलों या छोटे बेड में लगे होते हैं। 🌱🏡
🌿 होम गार्डन पौधों की देखभाल के मुख्य टिप्स
1. सही जगह का चुनाव
• पौधे को उसकी ज़रूरत के अनुसार धूप या आधी छांव में रखें।
• फल/फूल वाले पौधों को ज़्यादातर 4–6 घंटे धूप चाहिए।
2. मिट्टी और गमला
• मिट्टी हल्की, भुरभुरी और जैविक खाद से भरपूर हो।
• गमले में ड्रेनेज होल ज़रूर होना चाहिए ताकि पानी जमा न हो।
3. सिंचाई (Watering)
• ज़्यादा पानी देने से जड़ें सड़ सकती हैं।
• गर्मी में रोज़ या एक दिन छोड़कर पानी दें, सर्दियों में ज़रूरत के अनुसार।
• हमेशा मिट्टी छूकर देखें – सूखी लगे तो ही पानी दें।
4. खाद देना
• महीने में 1–2 बार जैविक खाद (गोबर खाद, कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट) डालें।
• फूल और फल वाले पौधों को फॉस्फोरस व पोटाश ज्यादा चाहिए।
• पत्तेदार पौधों के लिए नाइट्रोजन (जैसे नीमखली, सरसों की खली का पानी) अच्छा रहता है।
5. छंटाई (Pruning)
• सूखी, पीली या रोगग्रस्त पत्तियाँ और शाखाएँ हटा दें।
• इससे पौधा ताज़ा बढ़ता है और नए फूल/पत्तियाँ निकलते हैं।
6. कीट और रोग नियंत्रण
• पौधों पर नीम तेल (5ml नीम तेल + 1 लीटर पानी) का छिड़काव महीने में 2–3 बार करें।
• घर में बनी कीटनाशक (लहसुन, अदरक, मिर्च का काढ़ा) भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
7. अतिरिक्त देखभाल
• समय-समय पर पौधे को धूप-छांव बदलें।
• गमलों की मिट्टी को हर 6–8 महीने बाद बदलें या उसमें नई खाद मिलाएँ।
• पौधे को प्यार से छूना, बात करना और नियमित देखना भी उसकी सेहत के लिए अच्छा है। 🌸